Almitra-Tattva
Wednesday, September 29, 2010
सिमटी
हुई
तन्हाइयो
मैं
एक
साथ
तेरा
भी
था
तू
साथ
था
…
मगर
पास
नही
...
रात
अपनी
बची
साँसे
ले
रही
थी
…
सहर
बस
आने
को
थी
एक
करवट
लम्हों
ने
ली
...
और
वक़्त
ठहर
गया
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